Shikha Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -04-Jul-2022 - मां के जज्बात


मां तेरे प्रेम का न मोल कोई,
काश रहती तेरी बाहों में सोई।
चैन बड़ा मिलता आंचल में तेरे,
चिंता नहीं कोई मेरे मन को घेरें।
सीख तूने मां दी इतनी प्यारी,
बनी ससुराल में सबकी दुलारी।
प्यार सबका जो मुझको मिला मां,
उससे सुंदर न जग में कोई समां मां।
कर्ज तेरा जीवन में न उतरे कभी,
तेरे प्यार का बंधन न छूटे कभी।
गर्भ में जब तेरे में मैं आई मां,
खुशी की चमक चेहरे पर छाई मां।
पहली बार जब तूने छुआ मुझे,
जज्बातो से भरा हुआ एहसास मुझे।
खुशबू से तेरी तुझे मैंने पहचाना,
प्यार क्या होता है मैंने तुझसे जाना।
गिरकर उठना तूने सिखाया मां,
प्यार से कितने मुझको जगाया मां।
ढाल बनी थी तू मेरी मुश्किल में ,
चुभने न दिया शूल कोई दिल में ।
मां सारा जग तुझ पर वार दूं,
अब तुझ पर ना अपना भार दूं।
तुझसे सुंदर न जग में कोई मां,
खुश हूं बहुत तू मुझे मिली मां। 
तुझसे ही जग में मेरी पहचान हैं,
मां तुझमें ही तो बसी मेरी जान हैं।
शब्दों में ढाल सकूं मेरी औकात नहीं,
अगले जन्म होगी तुमसे मुलाकात यहीं ।
हर जन्म तुझको मां मेरी बनना होगा,
इस दुनिया से हिफाजत मेरी करना होगा।।


दैनिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)

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7 Comments

Abhinav ji

05-Jul-2022 07:31 AM

Very nice👍

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Swati chourasia

05-Jul-2022 05:51 AM

बहुत ही सुंदर रचना 👌

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Punam verma

04-Jul-2022 11:59 PM

Very nice

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